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जोड़ों में दर्द और सूजन के कारण और उनसे निपटने के उपाय

Dr. Satish Rathore |

जोड़ों में दर्द और सूजन किसी भी उम्र और जीवनशैली के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। यह असहजता कभी-कभी लगातार बनी रहती है और व्यक्ति की जीवन गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। चाहे यह चोट, बढ़ती उम्र या किसी छिपी हुई चिकित्सकीय स्थिति के कारण हो, टेंस मशीन जैसे उपकरण बिना दवाओं के सुरक्षित और प्रभावी राहत देने में मदद करते हैं।

जोड़ों में दर्द अक्सर सूजन, चोट या कार्टिलेज के क्षरण के कारण होता है। वहीं सूजन, शरीर की सूजन संबंधी प्रतिक्रिया को दर्शाती है, जो किसी अंदरूनी समस्या का संकेत हो सकती है।

जोड़ों में दर्द और सूजन के कारण

इस दर्द और सूजन के कारण बहुत विविध हो सकते हैं। कुछ मामलों में यह जीवनशैली से संबंधित होता है, जबकि अन्य मामलों में चिकित्सकीय हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।

  • ऑस्टियोआर्थराइटिस: बुजुर्गों में सबसे सामान्य कारणों में से एक है ऑस्टियोआर्थराइटिस। यह एक अपक्षयी स्थिति है जिसमें हड्डियों के सिरों को ढकने वाला सुरक्षा ऊतक धीरे-धीरे टूटने लगता है। इससे दर्द, जकड़न और गति सीमा में कमी होती है, विशेष रूप से घुटनों और कूल्हों जैसे भार सहने वाले जोड़ों में। समय के साथ यह जोड़ सूजन से भर सकते हैं क्योंकि उसमें अतिरिक्त तरल बनता है।
  • रुमेटॉइड आर्थराइटिस: यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ जोड़ों पर हमला करती है, जिससे पुरानी सूजन, गर्मी और दर्द होता है। यह आमतौर पर शरीर के दोनों ओर समान रूप से प्रभावित करता है और छोटे जोड़ों से शुरू होता है जैसे कि उंगलियां और पैर।
  • चोट और अधिक उपयोग: एक्यूट चोट जैसे कि मोच, फ्रैक्चर या लिगामेंट फटना जोड़ों में तत्काल दर्द और सूजन का कारण बन सकते हैं। बार-बार का तनाव, भारी काम या गलत मुद्रा से भी सूजन हो सकती है। ऐसे मामलों में टेंस यूनिट जैसे उपकरण लगातार राहत प्रदान कर सकते हैं।
  • गाउट: गाउट एक सूजन संबंधी गठिया है जो खून में यूरिक एसिड के उच्च स्तर के कारण होता है। ये क्रिस्टल बनकर जोड़ों में जमा हो जाते हैं, विशेषकर पैर के अंगूठे में, और अत्यधिक दर्द, लाली और सूजन का कारण बनते हैं।
  • ल्यूपस और अन्य ऑटोइम्यून स्थितियां: ल्यूपस जैसी बीमारियों में प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के ऊतकों पर हमला करती है, जिससे पूरे शरीर में सूजन और जोड़ों में दर्द हो सकता है। इसमें सोरायटिक आर्थराइटिस, रिएक्टिव आर्थराइटिस और एंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस भी शामिल हैं।
  • संक्रामक गठिया: संक्रमण के कारण होने वाले गठिया जैसे बैक्टीरियल या वायरल गठिया, जोड़ों में तेज दर्द और सूजन ला सकते हैं। विशेष रूप से सेप्टिक आर्थराइटिस में तत्काल चिकित्सा देखभाल आवश्यक है।
  • बर्साइटिस और टेंडिनाइटिस: बर्साइटिस और टेंडिनाइटिस दोनों ही सूजन से जुड़ी स्थितियां हैं। ये बार-बार की गति, गलत मुद्रा या अचानक लगी चोट से हो सकते हैं। दोनों ही स्थिति स्थानीय सूजन और संवेदनशीलता लाती है।

जीवनशैली संबंधी कारण और जोखिम कारक

कुछ सामान्य जोखिम जिनसे जोड़ों में दर्द और सूजन के कारण बढ़ सकते हैं:

  • मोटापा: अधिक वजन जोड़ों पर दबाव बढ़ाता है।
  • बैठे रहने की आदत: कमजोर मांसपेशियां जोड़ों को पर्याप्त समर्थन नहीं देतीं।
  • गलत जूते पहनना: सही समर्थन न होने से जोड़ों पर असंतुलन आ सकता है।
  • धूम्रपान: रक्त संचार और ऊतकों की मरम्मत में बाधा डालता है।

टेंस तकनीक से जोड़ों के दर्द से राहत

तकनीक ने अब ऐसे विकल्प उपलब्ध कराए हैं जो बिना दवा के जोड़ों के दर्द से राहत देते हैं। टेंस मशीन (Transcutaneous Electrical Nerve Stimulation) ऐसा ही एक उपकरण है जो त्वचा पर हल्के विद्युत संकेत भेजकर तंत्रिकाओं को उत्तेजित करता है। इससे मस्तिष्क तक दर्द के संकेत पहुंचने से रुक जाते हैं और एंडोर्फिन रिलीज होता है।

UltraCare PRO की TENS 2.0 क्यों चुनें?

UltraCare PRO की TENS 2.0 एक वायरलेस टेंस यूनिट है जिसे आधुनिक जीवनशैली को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया गया है। इसके मुख्य फ़ीचर्स में शामिल हैं:

  • 10 थेरेपी मोड्स और 25 तीव्रता स्तर
  • स्मार्टफोन ऐप से नियंत्रण
  • रिचार्जेबल लिथियम बैटरी
  • कॉम्पैक्ट और पोर्टेबल डिज़ाइन

यह विशेष रूप से पुराने जोड़ों के दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव और जकड़न के लिए प्रभावी है। दिन में दो बार 15–30 मिनट की टेंस मशीन थैरेपी से आप बिना दवा के दर्द से राहत पा सकते हैं।

डॉक्टर से कब संपर्क करें?

यदि आपको निम्नलिखित लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें:

  • अचानक और तीव्र सूजन
  • जोड़ों के आसपास लालिमा और गर्माहट
  • बुखार के साथ जोड़ों में दर्द
  • गति में रुकावट या जोड़ का बिगड़ना
  • दर्द जो एक सप्ताह से अधिक बना रहे

रोकथाम और जीवनशैली में सुधार

हालांकि सभी जोड़ों के दर्द को रोका नहीं जा सकता, लेकिन आप इन आदतों से जोखिम को कम कर सकते हैं:

  • स्वस्थ वजन बनाए रखें
  • लो-इंपैक्ट व्यायाम करें जैसे तैराकी या योग
  • लंबे समय तक बैठे रहने पर ब्रेक लें
  • नियमित रूप से स्ट्रेचिंग करें
  • एर्गोनॉमिक डिवाइस का उपयोग करें
  • ओमेगा-3 फैटी एसिड और ग्लूकोसामिन जैसे सप्लिमेंट शामिल करें

इन उपायों को टेंस मशीन के साथ अपनाकर आप अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं।

राहत आपके हाथों में

जोड़ों में दर्द और सूजन के कारण को समझना आपको सक्रियता से कार्य करने में मदद करता है। चाहे आप गठिया, चोट या ओवरयूज़ की समस्या से जूझ रहे हों, UltraCare PRO की TENS 2.0 एक सुविधाजनक और घर पर उपयोग करने योग्य उपाय प्रदान करता है। स्मार्ट जीवनशैली विकल्पों के साथ मिलाकर, टेंस यूनिट से आप दर्द को कम कर सकते हैं और फिर से सहज जीवन जी सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

क्या TENS 2.0 पहली बार उपयोग करने वालों के लिए आसान है?

बिल्कुल! इसका इंटरफ़ेस सरल और उपयोगकर्ता के अनुकूल है। इलेक्ट्रोड पैड को प्रभावित हिस्से पर लगाएं, डिवाइस चालू करें, और मोड और तीव्रता चुनें।

मैं TENS 2.0 को शरीर के किन हिस्सों पर उपयोग कर सकता हूँ?

आप इसे पीठ, कंधों, हाथों, पैरों, गर्दन, घुटनों और जोड़ों पर उपयोग कर सकते हैं—जहां भी मांसपेशी या तंत्रिका संबंधी दर्द हो।

एक सेशन कितनी देर का होना चाहिए?

15 से 30 मिनट का एक सामान्य सेशन पर्याप्त होता है। जरूरत के अनुसार दिन में कई बार उपयोग किया जा सकता है।

क्या TENS 2.0 वास्तव में वायरलेस है?

हाँ! यह पूरी तरह वायरलेस है और इसमें रिचार्जेबल बैटरी लगी होती है, जिससे तारों की उलझन या बड़े कंट्रोल यूनिट की आवश्यकता नहीं होती।

Dr. Satish Rathore

Dr. Satish Rathore

Dr. Satish Rathore

With over 3 years of experience in physiotherapy, Dr. Satish Rathore holds a Bachelor of Science in Physiotherapy and specializes in musculoskeletal care, rehabilitation, and wellness. Currently serving as Lead Physiotherapist at UltraCare PRO, he combines evidence-based treatment, hands-on therapy, and patient education to deliver holistic, patient-centered care. Dr. Satish Rathore is committed to helping individuals move better, recover faster, and live pain-free, while continuously advancing clinical standards and team performance in physiotherapy practice.